इतने हैं तेरे रूप के मैं सबको गिना नहीं पाउँगा,
इतने हैं तेरे रूप के मैं सबको गिना नहीं पाउँगा, खोल कर रख दी पल्लू की हर एक गाँठ तुमने, मैं तुम्हारे प्रेम का किस्सा…
इतने हैं तेरे रूप के मैं सबको गिना नहीं पाउँगा, खोल कर रख दी पल्लू की हर एक गाँठ तुमने, मैं तुम्हारे प्रेम का किस्सा…
जो ऊँगली पकड़ चलाती है, जो हर दम प्यार लुटाती है, जो हमको सुलाने की खातिर, खुद भूखी ही सो जाती है, खेल खिलौने कपड़े…
चन्द अल्फाज़ो में बयां होगी नहीं, ये कहानी किताबों में जमा होगी नहीं, यूँही सरेआम हो जायेगी दास्ताँ सारी, बस दो एक रोज़ में हवा…
सुनी सुनी सी बात लगे इस बस्ती में, कुछ तो है जो ख़ास लगे इस बस्ती में, कभी सोंच आज़ाद लगे इस बस्ती में, कभी…
जब एहसासों को शब्दों में उतार न सकी मेरी कलम, तब स्याही की हर बून्द ने मिलकर तेरी तस्वीर बना ली।। राही (अंजाना)
बनाकर कागज़ की कश्तियाँ पानी में बहाते नज़र आते थे, एक रोज़ मिले थे वो बच्चे जो अपने सपने बड़े बताते थे, बन्द चार दीवारों…
मेरे हर ख़्वाब पर तेरा ही पहरा है। अब कोई और इनका पहरेदार नहीं।
बदलते रहते हैं ज़ुबा लोग पल दो पल में कई बार, मगर एक चेहरा बदलने में मुकम्मल वक्त लगता है, छुपाने से छिप जाते हैं…
किनारे पर भी रहूँ तो लहर डुबाने को आ जाती है, बीच समन्दर में जाने का हौंसला हर बार तोड़ जाती है, दिखाने को बढ़ता…
वो परछाईं सा साथ चलता रहा है, कभी दिखता तो कभी छिपता रहा है, दिन के उजाले की शायद समझ है उसको, तभी अंधेरे में…
बचपन से ही जीवन के रंग में, मैं धीरे धीरे ढ़ल लेती थी, छोटे छोटे पैरों से अक्सर, मैं खुद अपने दम पर चल लेती…
जो करता रहा इंतज़ार पल पल, आज हर पल का वो हिसाब माँगता है, दिल के रिश्तों की कीमत और प्यार का खिताब माँगता हैं,…
आसमान में पतंग, यारों का कोई यार नहीं दिखता, आज के रिश्तों में वो गहरा कोई प्यार नहीं दिखता, मिलते हैं ख़्वाबों में आकर चेहरे…
चुप्पियाँ कहती हैं कितना बोलता हूँ मैं, सपने कहते है कितना जागता हूँ मैं, रास्ते कहते हैं कितना ठहरता हूँ मैं, लम्हें कहते हैं कितना…
अँधेरे और रौशनी के बीच का फर्क मिटाना चाहती हूँ, माँ की कोख से निकल बाहर मैं आना चाहती हूँ, जो समझते है बोझ मैं…
तेरी आँखों के बिस्तर पर अपने प्यार की चादर बिछा दूँ क्या? तेरे ख़्वाबों के तकिये के सिरहाने मैं सर टिका लूँ क्या? कर दूँ…
बन्द पिंजरे से उड़ जाने का अरमान लिए बैठे हैं, कुछ परिंदे अपनी आँखों में आसमान लिए बैठे हैं, बनाये थे जो कभी रिश्ते इस…
खुद ही से खुद ही के परिचय की तलाश में, लोग भटकते हैं दरबदर कस्तूरी की तलाश में, यूँ तो तय हैं सभी किरदार कहानी…
मिल जायेगी ताबीर मेरे ख्वाबों की एक दिन, या ख्वाब बिखर जायें कुछ कह नहीं सकता। बह जाउं समंदर में तिनके की तरहं या फ़िर,…
डूबती कश्तियों के सहारे बैठ कर क्या होगा, समन्दर के इतने किनारे बैठ कर क्या होगा, तैरना है तो लहरों के बीच जाना ही होगा,…
अपनी पलकों को इतना मत झपकाया कर, तू मेरे दिल को इतना मत धड़काया कर, हर बात तेरी किसी ज़ुबां की मोहताज तो नहीं, तू…
अनुभव की राहों पर चलकर खुद मैंने भी देखा है, अपनों को अपनों से छलते खुद मैंने भी देखा है, आसमान को धरती से मिलते…
कुछ कहती नहीं बहुत कुछ कह जाती है कविता, खामोश दिखती है पर बहुत बोल जाती है कविता, चन्द शब्दों से नहीं एहसासों से बुनी…
अन्धेरा होकर भी अन्धेरा होता नहीं मेरे घर में, मैं जुगनू हूँ दोस्त रौशनी अपने साथ रखता हूँ।। राही (अंजाना)
बांधकर बेड़ियों से कोमल पैरों को खींच कर, घर की चौखट के बाहर वो कभी जाने नहीं देते, हिम्मत जो जुटाती है बेटी कोई पढ़ने…
सुबह सुबह घर के आँगन में वो फुदक फुदक इठलाती थी, गोरैया चिड़िया जब अक्सर हमसे मिलने आती थी, विलुप्त हो रही है जो पंछी…
ना जाने कितने मौसमों की हवा ली हमने, ना जाने कितने साँसों को सदा दी हमने, कहने को कह दी हर बात सरसराहट से हमने,…
बहुत दूर तलक जाकर भी कहीं दूर जा पाते नहीं, परिंदे यादों के तेरी मेरे ज़हन से उड़ पाते नहीं, बनाकर जब से बैठे हैं…
जोड़कर तिनका-तिनका घोंसला बनाने में, वक्त के साथ भावनाओं के मोती सजाने में, बड़ी हिफ़ाज़त से रखती है चिड़िया जिन परिंदों को, वो एक पल…
खोकर अपना वजूद फिर बनाने की कुब्बत रखता है, ये सूखा हुआ पेड़ फिर हरा हो जाने की सिफत(गुण)रखता है, उजड़ी हुई शाखों पर मत…
अभी ज़िन्दगी की किताब के चन्द पन्नों को पटल कर देखा है। अपने बचपन को जैसे सरसरी निगाहों से गुजरते देखा है, यूँ तो खुशियों…
किसी रस्म किसी किस्म का ताला नहीं लगता, इस जीवन के पौधे पर कोई जाला नहीं लगता, जंक लग जाती है बाँधने वालों की ज़ुबाँ…
सुकून का सागर जैसे आँखों से बाँध बैठे हैं, चेहरे चेहरों से ही जैसे अपना रिश्ता मान बैठे हैं, चाहत नहीं है के मिल जाए…
किताबों के बनाकर छप्पर अक्षरों के बिस्तर लगाये बैठे हैं, ज्ञान की सारी पोथियाँ आज हम लेपटॉप में दबाये बैठे हैं, कलम की स्याही के…
एक नज़र चाह कर भी मिलाने को तैयार नहीं, ज़िन्दगी एक पल भी सर उठाने को तैयार नहीं, नोच खाने को बैठी है एक ज़िन्दगी…
स्वच्छता सम्बन्धी कुछ बातों को सबके दिल तक पहुँचाना होगा, ये जागरूकता फैलाने में हम सब को साथ निभाना होगा, फैल रहा जा कूड़ा करकट…
अभी ज़िन्दगी की किताब के चन्द पन्नों को पटल कर देखा है। अपने बचपन को जैसे सरसरी निगाहों से गुजरते देखा है, यूँ तो…
कौन कहता है के खेल को सीखना होगा, खेल है तो खेल को खेलना ही होगा, हार जीत की परवाह कहाँ है किसी को, पर…
शिव की शक्ति बनकर तूने हर एक क्षण साथ निभाया नारी, पिता- पती के घर को तूने हर एक क्षण महकाया नारी, हर एक युग…
जो भी रस्म थी हर रस्म निभाता रहा हूँ मैं, तेरे माथे से हर शिकन मिटाता रहा हूँ मैं। खुद को समन्दर किया तेरी ख़ातिर,…
यार इसमें तो मज़ा है ही नहीं, यार इसमें तो मज़ा है ही नहीं, कोई हमसे ख़फ़ा है ही नहीं, इश्क है मर्ज़ है इसकी…
क्या बनायेगा मुद्दा, जमाना हमारी बातों का। हमारी तो ख़ामोशी भी चर्चा में है। राही (अंजाना)
जो भी दिल में है छुपा मुझको तो दिखा दीजे, जो ज़ुबा तक न आ सके तो आँखों से जता दीजे, प्यार है हमसे…
तेरी ख़ामोशी भी चर्चा में है, तू कुछ कहेगा तो मुद्दा ही बनेगा सनम। – राही (अंजाना)
जरा सा मुस्कुरा?☺ देना होली मानाने से पहेले हर गम को जला ??देना होली जलाने से पहेले मत सोचना की किस किस ने दिल?? दुखाया…
सोंचा नहीं था समन्दर के इतना किनारे निकल जाऊंगा, जिनसे डरता था उन्हीं लहरों के सहारे निकल जाऊंगा, जहाँ बनाता ही नहीं बह जाने के…
रेत से बने इस रक्त के पुतले पर, रस्म ऐ रूह का रूतबा क्या कहूँ, बदलते रोज़ चेहरों के मुखौटे पर, जश्न ऐ जाम का…
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