चुप्पियाँ कहती हैं कितना बोलता हूँ मैं

चुप्पियाँ कहती हैं कितना बोलता हूँ मैं, सपने कहते है कितना जागता हूँ मैं, रास्ते कहते हैं कितना ठहरता हूँ मैं, लम्हें कहते हैं कितना…

तेरी आँखों के बिस्तर पर अपने प्यार की चादर बिछा दूँ क्या?

तेरी आँखों के बिस्तर पर अपने प्यार की चादर बिछा दूँ क्या? तेरे ख़्वाबों के तकिये के सिरहाने मैं सर टिका लूँ क्या? कर दूँ…

कविता

कुछ कहती नहीं बहुत कुछ कह जाती है कविता, खामोश दिखती है पर बहुत बोल जाती है कविता, चन्द शब्दों से नहीं एहसासों से बुनी…

रस्म

किसी रस्म किसी किस्म का ताला नहीं लगता, इस जीवन के पौधे पर कोई जाला नहीं लगता, जंक लग जाती है बाँधने वालों की ज़ुबाँ…

किताबों के बनाकर छप्पर अक्षरों के बिस्तर

किताबों के बनाकर छप्पर अक्षरों के बिस्तर लगाये बैठे हैं, ज्ञान की सारी पोथियाँ आज हम लेपटॉप में दबाये बैठे हैं, कलम की स्याही के…

स्वच्छ भारत

स्वच्छता सम्बन्धी कुछ बातों को सबके दिल तक पहुँचाना होगा, ये जागरूकता फैलाने में हम सब को साथ निभाना होगा, फैल रहा जा कूड़ा करकट…

रस्म

जो भी रस्म थी हर रस्म निभाता रहा हूँ मैं, तेरे माथे से हर शिकन मिटाता रहा हूँ मैं। खुद को समन्दर किया तेरी ख़ातिर,…

निकल जाऊंगा

सोंचा नहीं था समन्दर के इतना किनारे निकल जाऊंगा, जिनसे डरता था उन्हीं लहरों के सहारे निकल जाऊंगा, जहाँ बनाता ही नहीं बह जाने के…

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