प्रवासी मजदूर

June 6, 2020 in Poetry on Picture Contest, काव्य प्रतियोगिता

प्रवासी मजदूर

मजदूर हूं, मजबूर हूं,
कैसी है तड़प हमारी,
या हम जाने, या रब जाने,
आया कैसा चीनी कोरोना,
ले गया सुख-चैन हमारा,
जेब में फूटी कौड़ी नहीं,
छूट गया काम- धाम हमारा,
खाने को पड़ गए लाले,
घर जाना अब है जरूरी हमारा,
जाऊँ या न जाऊँ दोनों तरफ है मौत खड़ी,
मंजिल है मिलोंं दूर फिर भी,
घर जाना है जरूरी हमारा,
कुछ पैदल ही चले गए,
कुछ साइकिल से चले गए,
कुछ रास्ते में ही दुनिया छोड़ गए,
सामने है कोरोना खड़ी,
जाऊं या न जाऊं,
दोनों तरफ है मौत खड़ी,
मंजिल है मिलों दूर फिर भी,
घर जाना है जरूरी हमारा,
महीनों से हूं पिंजरबद्ध पंछी बना,
लॉकडाउन में मैं हूं पड़ा,
ऐसे में आया राहत सरकार का,
प्रवासी मजदूर के लिए चलेगी रेलगाड़ी,
मन खिल गया हमारा,
बुढ़ी माँ मुझे बुला रही,
अब घर जाना है जरूरी हमारा ।

Shikva

December 14, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

है लाख सितम ढाहे, ऐ जिंदगी,
शिकवा करूं मैं किससे किससे,
मिलता नहीं सभी को जन्नत,
सुख दुख दो पहलू हैं जिंदगी के,
है आरजू पाने की जन्नत
तो पार कर लेते हैं आग का दरिया,
न कर भरोसा नसीब का,
जाने कब किसी को दे देती है धोखा,
मेहनत ही सच्चा साथी है
जो हर पल निभाता साथ है तेरा,
मिल जाती है अपनी मंजिल,
गर मेहनत हो सच्चा सच्चा |

Ai sardi suhani si

December 10, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

किसी नाजुक कली सी,
आंखें कुछ झुकी हुई शरमाई सी,
हौले हौले दबे पांव आई ही गई सर्दी सलोनी सी,
खिली हुई मखमली धूप में, आई किसी की याद सुहानी सी,
दबी दबी मुस्कुराहट, होठों पर छाई सी,
पता चला नहीं कब ढल गया दिन यूं ही,
आई ठिठुरन की रात लिए कुहासों की चादर सी,
सुबह धुंध का पहरा है, लगता बादलों का जमावड़ा सा,
ढकी है चादर धुंध की राहों में,
दूर-दूर तक कुछ भी नजर नहीं आता राहों में,
गर्म चाय की चुस्की दे रही थोड़ी गर्माहट सी,
अलाव के पास बैठना दे रहा सुकून सा,
हरी हरी घास पर ओस की बुंदे हैं चमक रही शीशे सी,
कांपते होठों ने तुमसे कुछ कहा,
रह गई वह बातें क्यों मेरी दबी सी

Teri yaden

December 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बरसों बीत गए,
तुमसे बिछड़े हुए,
पता नहीं कहां,
तुम चले गए,
एक आंधी सी आई,
और तुम चले गए,
रह गई बाकी,
बस तेरी यादें,
तेरी बेपरवाह
हंसी के फव्वारे,
तेरी चंचल आंखों
की चितवन,
तेरी बेपनाह मोहब्बत,
महसूस होता है
मेरे दिल को,
तुम मेरे आस-पास हो,
सुनते हो मेरी हर बातें,
तन्हाई में तुम मेरे साथ हो,
इन वादियों में तुम हो,
समंदर की लहरों में तुम हो,
इन फूलों में तुम हो,
इन हरियाली में तुम हो,
हर जगह तुम ही तुम हो |

Junun

December 8, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

गर दिल में हो जुनून,
मंजिल पा ही लेंगे हम,
हो रास्ता कठिन,
पर हो हौसला बुलंद,
मंजिल पा ही लेंगे हम,
हो तूफानों की डगर,
पर हो साथ हमसफर,
मंजिल पा ही लेंगे हम |

Salam

December 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

सलाम है तेलंगाना पुलिस को,
जिन्होंने न्याय त्वरित दे ही दिया,
है सीख लेने की बाकी प्रदेशों की पुलिस को,
जैसे उन्होंने एनकाउंटर किया,
बनेगा डर उन भेडियो को,
सोचेगे सौ बार वो गुनाह करने से पहले,
मिला न्याय उस मासूम बेटी को,
आना होगा आगे सरकार को,
अब जरूरत है न्याय व्यवस्था सुधारने की,
बने त्वरित न्याय व्यवस्था,
भूखे इन भेडियों के लिए,
होगा तब भारत का कल्याण |

Sarmsar ho rahi aye pavan dhartiti

December 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज शर्मसार हो रही यह पावन धरती,
नीलाम हो रही मां बहनों की इज्जत,
भटकते इन भूखे भेड़ियों से,
है निवेदन सभी माताओं से,
संस्कार दे बच्चों को ऐसी,
जो दूषित न करे समाज को,
वो भविप्य अपना उज्जवल करें,
साथ ही दूसरों का भी साथ दे,
करनी होगीं प्रतिज्ञा कडी,
कोई भी न बने संस्कारविहीन,
तभी निखरेगा भारत महान |

Ma baba

December 4, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मां बाबा अनमोल है दोस्तों,
गलती से भी इन्हें तुम न ठुकराना,
किस्मत वाले को मिलता है इन दोनों का प्यार दोस्तों,
इनकी इज्जत तुम करना,
हीरे मोती फिर से तुम पा लोगे दोस्तों,
मां बाबा दुबारा नहीं मिलेंगे,
उनके गुस्से को गुस्सा तुम न समझना दोस्तों,
वह तो आशीर्वाद का दूसरा रूप है,
न जाने कितनी ख्वाहिशे उन्होंने दवाई है दोस्तों,
उनकी सारी ख्वाहिशें तुम पूरा करना,
उन्होंने जो कहा तुम्हारे अच्छे के लिए कहा दोस्तों,
बस तुम उनकी आज्ञा का पालन करना,
उन्हें तुम्हारे सहारे की जरूरत है दोस्तों,
यह तुम हर पल निभाना,
उनकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ना दोस्तों,
यही तुम्हारी सच्ची पूजा है |

Ek tu hi nahi

December 3, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

सब है यहां,
एक तू ही नहीं,
जाने क्या खता हुई मुझसे,
और तुम चल दिए दूर मुझसे,
याद तेरी दिल से जाती नहीं,
तुझ बिन कहीं जी लगता नहीं,
चाहता है दिल तुम होते तो,
कभी किसी बात पर हंसते,
कभी किसी बात पर मुस्कुराते,
कभी किसी बात पर खफा होते,
तेरा गुस्सा भी मुझे अच्छा लगता,
तुम इतने खफा हो गए
कि हमें भूल ही गए,
अभी भी इंतजार है तेरा,
आ जाओ तुम कहीं से,
खिल जाएगी खुशियों
की बगिया मेरी |

Beti ki pukar

December 2, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहती है सरकार यहां,
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ,
पर कहां सुरक्षित है बेटियां यहा,
कभी था हमारा देश,
सारे जहां से अच्छा,
हिंदुस्तान हमारा,
अब तो इंसानियत न बची यहां,
अब तो जमीर मर गई हैं यहां,
रिश्तो का कत्लेआम हो रहा,
बेटियां जाए तो जाए कहां,
हर जगह है भेड़ियों की फौलाद यहां,
बेटी घर से निकलना छोड़ दे?
वह अपने अरमानों का गला घोट ले?
अब है यह वक्त की पुकार यहां,
पारित हो नया कानून यहां,
उन भेड़ियों के लिए जेल कोई सजा नहीं,
इन्हें तो चाहिए फांसी की सजा यहां,
तभी तो होगा देश का कल्याण यहां |

Beti ki pukar

December 2, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कहती है सरकार यहां,
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ,
पर कहां सुरक्षित है बेटियां यहा,
कभी था हमारा देश,
सारे जहां से अच्छा,
हिंदुस्तान हमारा,
अब तो इंसानियत न बची यहां,
अब तो जमीर मर गई हैं यहां,
रिश्तो का कत्लेआम हो रहा,
बेटियां जाए तो जाए कहां,
हर जगह है भेड़ियों की फौलाद यहां,
बेटी घर से निकलना छोड़ दे,
वह अपने अरमानों का गला घोट ले,
अब है यह वक्त की पुकार यहां,
पारित हो नया कानून यहां,
उन भेड़ियों के लिए जेल कोई सजा नहीं,
इन्हें तो चाहिए फांसी की सजा यहां,
तभी तो होगा देश का कल्याण यहां |

Kalyug waris

November 29, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

वारिस था एकलौता उसका,
नाजो से पाला था उसने,
दी थी शिक्षा अच्छी उसकी,
क्या क्या जतन किए थे उसने,
लायक आदमी बनाने के लिए उसे,
मालूम क्या था उसे,
जाकर विदेश भूल जाएगा उसे,
दिलासा तो दिया था उसने,
ले जाऊंगा एक दिन मैं तुझे,
इंतजार वो करती रही,
पति तो पहले ही चल बसे,
अब बारी थी उसकी,
वह कहती रही उसे,
मुझे वृद्दाआश्रम में रखो
या खुद ले जाओ,
दिलासा देता रहा बेटा,
मां मैं आऊंगा एक दिन,
वो इंतजार करती रही,
पर बुढी हड्डी ने दे
दिया था जवाब,
पता तो तब चला,
जब बेटा आया एक साल बाद,
टूटी फूटी कंगाल थी वह,
साड़ी में लिपटी हुई,
है यह कलयुगी बेटे की दास्तान |

Wo thithuran ki rat

November 28, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

फिर आई वो ठिठुरन की रात,
वो कुहासो भरा सवेरा,
वो सिली सिली ठंड की रात,
फिर आई वो याद गरम गरम
चाय की चुस्की वाला सवेरा,
तेरा मुझे चिढाना,
और रूठना मेरा,
फिर तेरा मुझे मनाना,
वो मखमली धूप में बैठना,
और बैठे रहना,
फिर तेरी यादो के सपने बुनना,
वो गेंदे का खिलना,
और गुलाब की कलियों का झूमना,
खिली खिली धूप में चंपा का झूमना,
ठंडी रात मे रजाई में घुसना,
फिर उससे न निकलने का मन होना,
हरी हरी घास पर ओस
की बूंदों का शीशे सा चमकना,
साल स्वेटर से खुद को ढकना,
और मुंह से भाप निकलना,
फिर आई वो ठिठुरन की रात |

O syamre

November 21, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ओ श्याम रे…..
कहा छुपे हो मोरे श्यामरे,
तुझे ढूंढे मोरे नैना,
तेरे बिन मुझे ना एक पल चैना,
छोड़ सखी तुझसे मिलने आई,
करके लाख उनसे बहाने,
तेरी बंसी की धुन सुनने को आई,
तू कहां छुपे हो मोरे श्याम,
तुझे ढूंढे मोरे नैना,
मैंने तुझे वृंदा की गलियों में ढूंढा,
जाकर यशोदा मैया से पूछा,
कहां छुपे हो मोरे श्याम,
तुझे ढूंढ मोरे नैना,
मुझे पता है तुम कहां मिलोगे,
यमुना तट है तेरा बसेरा,
वही मिलोगे मोरे श्याम,
तुझे ढूंढे मोरे विकल नैना |

Ummiden

November 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल में उम्मीदों का दीपक जलाकर,
कर रही हूं मैं तेरा इंतजार,
घडी इंतजार की लंबी हो रही है,
अब चले भी आओ मेरी जान जा रही है,
ओ चांदनी न जाना तुम,
जब तक आ जाए न मेरा सनम,
फीकी है चंदा की चांदनी,
तेरे बगैर ओ सनम,
तू नहीं तो कुछ भी नहीं,
तू ही मेरा दिलबर ओ सनम,
तू नहीं तो कुछ भी नहीं,
ये तारे नजारे हैं बेकार,
लो अब आ ही गए तुम,
खुशियों की बगिया खिल गई,
उम्मीदों की कलियां खिल गई |

Khara himalaya hame shikha raha

November 19, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

खड़ा हिमालय सिखा रहा,
धीर और गंभीर बनो,
नदियों की चंचलता सिखा रही,
जीवन को नीरस मत करो,
हरे भरे पेड़ यह सिखा रहे,
पाकर कुछ देना सीखो,
मिट्टी हमें यह कह रही,
जीवन में स्थिरता लाओ,
लालच के पीछे मत भागो,
फूल हमें है कह रहे,
हमेशा तुम खुश रहना सीखो,
भंवरे हमें बता रहे,
जीवन को संगीत समझो,
खुशहाल जीवन का यही है सार |

Khud ki khoj tu kar le bande

November 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

खुद की खोज तू करले बंदे,
खुद में ही तू पाएगा उसे,
उस उस ईश्वर को याद तू कर ले बंदे,
खुद में ही तू पाएगा उसे,
कुछ ध्यान साधना कर ले बंदे,
उस ईश्वर को मन में बसा ले बंदे,
बुलबुले हैं हम सब उसी समंदर के बंदे,
मिटना बनना है उसी समंदर में बंदे,
क्या तेरा क्या मेरा है,
सब उसी की कृपा है रे बंदे,
मंदिर में ढूंढा मस्जिद में ढूंढा
उस ईश्वर को मैंने कहां कहां ढूंढा,
वह तो मुझ में ही था जो समझ न पाया,
खुद की खोज तू कर ले बंदे,
खुद में ही तु पाएगा उसे |

Is tanhai ke rele me

November 14, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस तन्हाई के रेले में,
आ जाते हो तुम खयालो में,
याद तेरी दिल से जाती नहीं,
कहां हो तुम खबर आती नहीं,
कैसे दूं मैं दिल को सुकून
कि मुकद्दर में अब तुम नहीं मेरे,
तुम किसी और के हो जाओ
यह दिल को नहीं मंजूर मेरे,
तेरे बिन मुझे कुछ भाता नहीं,
तेरी याद में बस यूं ही तड़पते हैं,
नैनों से अश्क बहते हैं,
रातों को नींद उड़ जाती है,
बस चले आओ ये आंखें राह देखती हैं |

Is tanhai ke rele me

November 14, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

इस तन्हाई के रेले में,
आ जाते हो तुम खयालो में,
याद तेरी दिल से जाती नहीं,
कहां हो तुम खबर आती नहीं,
कैसे दूं मैं दिल को सुकून
कि मुकद्दर में अब तुम नहीं मेरे,
तुम किसी और के हो जाओ
यह दिल को नहीं मंजूर मेरे,
तेरे बिन मुझे कुछ भाता नहीं,
तेरी याद में बस पूरी यूं ही तड़पते हैं,
नैनों से अश्क बहते हैं,
रातों को नींद उड़ जाती है,
बस चले आओ ये आंखें राह देखती हैं |

O raina tujhe mai kya kahu

November 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ओ रैना, तुझे मैं क्या कहूं?
रात कहूं, रैना कहूं या निशा कहूं,
मिलता है दिल को सुकून, साये में तेरे,
मिट जाती है सारी थकान, साए में तेरे,
प्यारे लगते हैं नजारे, जब टिमटिमाते हैं तारे,
खेलता है चंदा भी अठखेलियां, बादलों संग,
सो जाते हैं सभी निंद्रा के आगोश में.
भूलकर अपने सारे गम,
ओ रैना, तुझे मैं क्या कहूं?
रात कहूं रैना कहूं या निशा कहूं,
लिए दिन भर की थकान,
काम की भागा दौड़ी में,
आ जाते हैं सभी संगी
एक छत के नीचे में,
क्यों तुम्हें समझते हैं सभी
कि तुम्हारी नहीं कोई औचित्य,
दूरियां मिट जाती है अपनों की अपनों से,
सपने सुंदर बुनती हैं इन रात के अंधेरे में,
ओ रैना, तुझे मैं क्या कहूं ?
रात कहूं, रैना कहूं या निशा कहूं |

Nanhi si pari thi tum

November 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

नन्ही सी परी थी तुम,
जब आई थी गोद में मेरे,
सपने जो संजोए थे मैंने,
एक बेटी हो प्यारी सी,
वो कर दिया था पूरा,
मेरी गोद में आकर तूने,
न जाने कितनी लोरियां
सुनाई थी बचपन में मैंने तुझे,
जैसा था सोचा मैंने
वैसा ही पाया तुझे,
दिल की दुआ है मेरी,
मेरी भी उम्र लग जाए तुझे
अभी भी याद है मुझे
गुड़ियो से खेलना तेरा,
तेरी पायल की घुंघरू
कानों में अभी भी बजती है,
ठुमक ठुमक कर चलना तेरा,
अभी भी याद है मुझे,
न जाने कब तू बड़ी हो गई
पता चला भी नहीं मुझे,
वो पल मै सोच के घबराऊ,
जब विदा मैं करूं तुझे,
अरमा है मेरे दिल में
तेरे हाथों में मेहंदी रचाऊ,
दुल्हन के जोड़े में
जन्नत की परी तुझे बनाऊं |

Kasti ko kinare laga do

November 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कश्ती को किनारे लगा दो,
मेरी नैया को अब तुम ही संभालो,
बीच भंवर में फंसी है मेरी नैया,
अब तुम ही इसे पार लगा दो,
तू ही साथी, तू ही सहारा,
तू ही है सब कुछ हमारा,
जीवन मेरा अब तेरे हवाले,
तू चाहे तो किनारे लगा दे,
विनती मेरी सुन ले भगवन,
सारे दुख अब हर ले भगवन |

Kasti ko kinare laga do

November 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

कश्ती को किनारे लगा दो,
मेरी नैया को अब तुम ही संभालो,
बीच भंवर में फंसी है मेरी नैया,
अब तुम ही इसे पार लगा दो,
तू ही साथी, तू ही सहारा,
तू ही है सब कुछ हमारा,
जीवन मेरा अब तेरे हवाले,
तू चाहे तो किनारे लगा दे,
विनती मेरी सुन ले भगवन,
सारे दुख अब हर ले भगवन |77

Aie jindagi

November 7, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ जिंदगी,
तू गम की राहों से निकल,
चल जहां गम के साए न हो,
चल वहां जहां खुशियों की जन्नत हो,
बहारे आएंगी और जाएंगी,
जीवन तो सुख और दुख का मेला है,
उसी मेले से तुझे गुजरना है,
गम के दरिया को तू किनारे कर,
खुशियों की दुनिया में तू कदम रख,
औरो के लिए ही नहीं खुद के
लिए भी तू जीना सीख,
ऐ जिंदगी,
तू गम की राहों से निकल |

Aie jindagi

November 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ जिंदगी,
तुम गम की राहों से निकल,
चल जहां गम के साए न हो,
चल वहां जहां खुशियों की जन्नत हो,
बहारे आएंगी और जाएंगी,
जीवन तो सुख और दुख का मेला है,
उसी मेले से तुझे गुजारना है,
गम के दरिया को तू किनारे कर,
खुशियों की दुनिया में तू कदम रख,
औरो के लिए ही नहीं खुद के
लिए भी तू जीना सीख,
ए जिंदगी,
तू गम की राहों से निकल |

Jivan ke is rah me

November 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन के इस राह में,
कौन है अपना कौन पराया,
जो साथ दिया हो दुख में,
उसे ही तुम अपना समझो,
जो झटक दिया हो दुख मे,
उसे ही तुम पराया समझो,
कुछ ऐसे भी लोग होते हैं
जो वाणी में मिठास रखते हैं
पर दिल में खराश रखते हैं,
कभी खून का रिश्ता भी
हो जाता है पराया,
कभी पराया भी हो जाता है अपना,
बस अपनों को अपनाते चलो,
जो झटक दिया हो दुख में,
उसे तुम त्यागते चलो |

Tere ane se bahar ati hai

November 6, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

तेरे आने से बाहरे आती है,
तेरे जाने से बाहरे जाती हैं,
महफिल मे गर आ जाओ
तुम तो चार चांद लग जाए,
मौसमे बाहरे महफिल में छा जाए,
कितना चाहती हूं तुझे यह पता ही नहीं,
बया चाहती हूं करना पर से मुख
पर बातें आती ही नहीं,
तू ही बता मैं वया कैसे करूं,
तू ही बता मैं इजहार कैसे करूं,
तेरी बातें मुझे मिश्री की गोली लगती है,
भूलना चाहूं तुझे पर मैं भूल पाती नहीं,
तारे गिन गिन के दिन बीतते हैं,
तेरे आने की राह देखती हूं,
आ जाओ बस तुम तो बात बन जाए |

Bato ko kuch tol ke

October 31, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बातों को कुछ तोल के,
मीठे बोल तू बोल ले,
बानी में मिश्री घोल के,
सबको खुश तू कर दे,
जग ये तेरा न मेरा है,
एक दिन सबको जाना है,
क्या पाएगा किसी को सताकर तू,
खुद से ही शुरू कर तू,
जग भी सुधर जाएगा,
गुस्सा करना छोड़ दे तू,
रब से नाता जोड़ ले तू,
मन में ईश्वर का बास कर
पाएगा तब सच्ची खुशी |

Radha ke dukh

October 31, 2019 in गीत

तुझे मेरी याद न आई,
ओ कान्हा तूने कैसी ये प्रीत निभाई,
छोड वृंदावन चले गए तुम,
लौट के फिर आए नहीं तुम,
हमजोली संग रास रचाया,
गोपियों को भी खूब सताया,
,तूझ बिन मै तो सूझ बुझ खोई,
अंखियो मे अब नीद नही है,
नयनो से आसू बहते है,
वादे जो मुझसे किये थे,
फिर क्यों हमें भूल गए बनवारी,
ओ कान्हा तूने कैसी ये प्रीत निभाई,
तुझ बिन सूनी वृंदा की गलियां,
कैसे बीतेगे दिन ये रतिया
लौट के तुम आए न एक बार,
भेज दिए उद्धव को मेरे पास,
तुम्हें मेरी याद न आई,
ओ कान्हा तूने कैसी प्रीत निभाई |

Dil chahta hai

October 30, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

दिल चाहता है,
ऊरू बादलों संग,
चलूं हवाओं के संग,
भूल के अपने सारे गम,
ऊरू मै गगन में चिड़ियों के संग,
करूं मैं बातें उनसे पल भर,
सुख और दुख है जिंदगी के पल,
क्यों न खुल के जिए कुछ पल,
तोड लू नाते मैं गम से अपने,
जोड लू मै खुशियों के पल,
खुशियां ही खुशियां
हो दामन में मेरे,
बस जी लूं मैं पल भर |

Chand sa mukhara hai tera

October 29, 2019 in ग़ज़ल

चांद सा मुखड़ा है तेरा,
समंदर से गहरी है आंखें तेरी,
जुल्फें हैं घनेरी तेरी
जो बिखर जाए तो
दिन में रात हो जाए,
चाल है मतवाली तेरी
जिस पर किसी का भी
दिल फिसल जाए,
क्या नूर पाया है तूने,
कयामत हो तुम बस कयामत हो,
ऊपर वाले ने फुर्सत से बनाया है तुझे,
क्या कमाल हो तुम बस कमाल हो,
तुझ पर मेरा दिल आया है,
बस इतनी सी गुजारिश है मेरी,
कुबूल कर लो मुहब्बत मेरी |

Chand sa mukhara hai tera

October 29, 2019 in ग़ज़ल

चांद सा मुखड़ा है तेरा,
समंदर से गहरी है आंखें तेरी,
जुल्फें हैं घनेरी तेरी
जो बिखर जाए तो
दिन में रात हो जाए,
चाल है मतवाली तेरी
जिस पर किसी का भी
दिल फिसल जाए,
क्या नूर पाया है तूने,
कयामत हो तुम बस कयामत हो,
ऊपर वाले ने फुर्सत से बनाया है तुझे,
क्या कमाल हो तुम बस कमाल हो,
तुझ पर मेरा दिल आया है,
बस इतनी सी गुजारिश है मेरी,
कुबूल कर लो इबादत मेरी |

Teri yad

October 29, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

न जाने तुम कहां खो गए,
हम यहां तेरी याद मे खो गए,
तेरे बिन न जाने कैसे
बीते रात ये दिन,
तुम मुझे यूं तन्हा कर गए,
कभी तुझे मेरे बिन एक
कदम भी चलना गवारा न था,
अब कैसे तुझे सालों मेरे
बिन रहना गवारा हो गया,
ये तन्हाई लगता है मुझे ले डूबेगी,
कहां हो तुम बस अब चले आओ,
आती है रातों को जब पत्तों
की सरसराहट लगता है तुम आए,
तेरी याद में बितते हैं मेरे रात ये दिन,
लगता है तुम यहीं कहीं हो,
यहींं कहीं हो,यही कही हो |

Dipawali

October 28, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

दीपावली है खुशियों का त्योहार पर
यहां सब इसे प्रदूषण का जरिया बना बैठे हैं,
यहां सभी बहरे बन बैठे हैं,
लगता है कानों में तेल और रुई दे बैठे हैं,
फिक्र नहीं कोई जिए या मरे,
यहां तो सभी दिल के फकीर बन बैठे हैं,
रब ने इतना कुछ दिया इन्हें,
फिर भी खुशियां यह दूसरों को रौंदकर मना बैठे हैं,
,पटाखे छोडे है इन्होने इतने कि अब ये दिन को शाम बना बैठे है,
दम घुट रहा है लोगों का यहां यह पटाखे पर पटाखे जलाए बैठे हैं,
कौन समझाए इन्हें हम सभी लाचार बन बैठे हैं |

Chahta dil sada se mujhe

October 24, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

चाहता दिल सदा से मुझे,
इन पर्वतों की श्रृंखलाओं में,
इन नदियों की चंचलता में,
इन झडनो की घुंघरू में,
इन देवदारो की घनेरी छाव मे,
इन वादियों मैं कहीं खो जाऊं,
आती है मिट्टी की खुशबू,
जो मिट्टी है अपने वतन की,
इन्हें छोड़ न जाऊं कहीं,
मिलेगा न कहीं और चैन मुझे,
जो खुशबू है अपने वतन की,
यहां लोग हैं सारे अपने,
वो हैं हमारे भाई बंधु,
क्यों करें हम सेवा दूसरे वतन की,
क्यों न करें हम सेवा अपने वतन की |

Ao manaye ham aisi diwali

October 23, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

आओ मनाएं हम ऐसी दीवाली,
जिसमे न हो प्रदूषण का नामोनिशा,
तब होगी हमारी सच्ची दिवाली,
खुशी ऐसी किस काम की,
जिससे हम सारे हो परेशा,
आओ मनाए हम ऐसी दीवाली,
जिसमें न हो प्रदूषण का नामोनिशा,
क्यों न जलाएं हम इको फ्रेंडली पटाखे,
इससे न होगा कोई खफा,
आओ मनाएं हम सब ऐसी खुशी
जिससे न हो कोई तबाह,
कहने को नया दौर है हमारा,
है तैयारी चांद मंगल पर जाने की,
फिर भी लगे हैं पराली जलाने पर हम,
सोचते क्यों नहीं हम,
होगा इससे कितना नुकसान,
घुटेगा दम जब घर में भी हमारा,
आओ मनाएं हम ऐसी दीवाली
जिसमें न हो प्रदूषण का नामोनिशा |

Teri yad

October 23, 2019 in ग़ज़ल

न जाने तुम कहां खो गए,
भरी दुनिया में जाने कहां खो गए,
हम यहां तेरी याद में भटकते रह गए,
हर शख्स में ढूंढा मैंने तेरा चेहरा,
मिले न तुम बस तुम तन्हा कर गए,
तेरी याद में गुजरते रात ये दिन,
किस तरह ऐसे कितने बरस गुजर गए,
शम्मा जलती रही हम भी जलते रहे,
हर नजारो में बस तुम ही तुम नजर आए,
तेरी याद मे बस इस तरह तड़पते रहे |

Teri bewafai

October 22, 2019 in ग़ज़ल

न रात को नींद न दिन को चैन है,
तेरी वेरूखी से दिल बडा बेचैन है,
जब तक चाहा दिल से खेला तुमने,
भर गया जी तो पलटकर देखा भी नहीं तुमने,
तेरी बेवफाई बहुत ही तड़पा गई मुझे,
औरो ने तोरा दिल तेरा तो
मेरी वफा तुझे याद आई,
कैसी ये प्रीत निभाई तुमने,
कैसी ये रीत निभाई तूमने,
टूटे हुए दिल को जोड़ने में लगी हूं मैं,
तेरी याद को मिटाने में लगी हूं मैं,
रास्ते से गुजरो कभी तो देखूंगी भी नहीं तेरी तरफ मैं,
सोचूंगी कभी मिली थी ही नहीं तुझसे |

Tukra ho tum dil ka

October 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

टुकड़ा हो तुम दिल का,
मुराद हो तुम मन का,
भोला है तू मन का,
शैतान भी है तू बडा,
मेरा तू है लाडला,
अगर मैं रूठ जाऊं तो,
तुझे चैन नहीं आता,
तुझे मेरी फिक्र है,
मुझे भी तेरी फिक्र है,
मेरा तू है लाडला,
घर देर से जो तू आए,
तो मैं बेचैन हो जाऊं,
मेरा तू है लाडला,
जैसा मैंने था सोचा,
वैसा ही तुझे पाया,
तू है कितना सलोना,
मेरा तू है लाडला,
तुझे मेरी उम्र लग जाए,
जग में तू नाम रौशन करें,
है यह मेरी तुझे दुआ,
जिए हजारों साल तू,
है यह मेरी तुझे दुआ |

Ati haiTeri yad

October 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

आती है बहुत ही याद तेरी,
तेरे जाने के बाद तेरी,
कब तक तुम आओगे यहा,
यह खबर नहीं है तेरी,
महफिल है सजी यहां,
बस तुम ही नहीं हो यहा,
घर आ जाओ तुम तो,
रौनके बहार आ जाएंगी यहां,
सज जाएगी महफिल मेरी,
एक तू ही तो हो मंजिल मेरी |

Gunahgar

October 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बनते हैं ऐसे गुनाहगार,
नशे की लत ने ले ली जिंदगी,
उसके भाई और पिता की,
फिर वह जैसे तैसे पला फुटपाथ पर,
फिर उसे भी लगी आदत नशे की,
करने के लिए नशा वो लगा करने
छीना झपटी, उसे क्या पता था,
जिसकी वह छीन रहा है पर्श
है वह प्रधानमंत्री की भतीजी,
जमीन खिसक गए उसके पांव तले,
मुंह से निकला, बुरे फंसे भाई,
नानी याद आ गई उसकी |

Naze ki adat

October 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

बनते हैं ऐसे गुनाहगार नशे की लत ने ले ली जिंदगी उसके भाई और पिता की फिर वह जैसे तैसे पल्ला फुटपाथ पर फिर उसे भी लगी आदत नशे की करने के लिए नशा वो लगाकर ने छीना जबकि उसे क्या पता था जिसकी वह चीज रहा है पर है वह प्रधानमंत्री की भतीजी जमीन खिसक गए उसके पांव तले मुंह से निकला बुरे फंसे भाई नानी याद आ गई उसकी

Ek abaj dekar mujhe bula lo lo

October 16, 2019 in ग़ज़ल

एक आवाज देकर,
मुझे बुला लो तू सनम,
दौड़ी चली आऊंगी,
कुछ नहीं सोचूंगी सनम,
तूने अब तक मुझे,
पुकारा ही नहीं,
तूने अब तक मुझे,
ठीक से जाना ही नहीं,
मैं तो तेरे प्यार में,
गिरफ्तार हूं सनम,
बस एक तेरी आवाज
देने की जरूरत है सनम,
तुम भी मुझे प्यार करो,
तो दुनिया मेरी संवर जाए सनम,
तेरे बिना जीना गवारा नही है सनम |

Mere kwabo me tum ho sanam

October 16, 2019 in ग़ज़ल

मेरे ख्वाबों में बस तुम हो,
कोई और नहीं है सनम,
तुम्हें यकी हो न हो,
पर यही सच है सनम,
तुम मुझ पर यूं शक ना करो,
मैं बस तेरी हूं तेरी हूं सनम,
मैं हद से भी ज्यादा
तुझे प्यार करती हूं सनम,
तू ही तो मेरी दुनिया हो,
तू ही तो मेरी जान हो सनम,
तू जो पांव जमी पर रख दो,
तो मैं कदमों में फूल बिछा दूं सनम,
तू अगर साहिल हो तो मै लहरे हू सनम,
तेरे कदमों तले मेरी जन्नत है सनम |

Majhab

October 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

क्यों ये ऊंच-नीच की दीवार है?
आते हैं दुनिया में सभी तो,
खाली हाथ ही होता है सभी का,
क्यों यह जात पात की दीवार है?
एक सा रंग होता है सभी के लहु का,
एक ही हार मास से बने हैं सभी,
अंतर बस इतना ही है कि
लेता है जन्म कोई अमीरी में,
लेता है जन्म कोई गरीबी में,
भूल जाओ सब अपनी जाति को,
सोचो बस एक ही जात है मानवता का,
तोड दो मजहब की दीवार को,
बस एक ही दीवार है मानवता का |

Bharat ke amiro

October 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ऐ भारत के अमीरों,
जरा देखो इन गरीबों को,
फटे हैं कपड़े तन पर इनके,
उजरे हैं बाल इनके,
दो वक्त की रोटी नहीं नसीब में इनकी,
बच्चे इनके हैं भूख से बिलख रहे,
किसी तरह सोते हैं फुटपाथ पर ये,
रहने को घर नहीं इनको,
जरा रहम करो तुम इनपर,
अपने हिस्से का कुछ पैसा देकर,
मदद को हाथ बढ़ाओ तुम,
कुछ नहीं बिगड़ेगा तुम्हारा,
बन जाएगी किस्मत इनकी,
रहेगा न कोई गरीब भारत में,
चारों तरफ अमन होगा |

Teri mahfil me

October 15, 2019 in ग़ज़ल

तेरी महफ़िल में सनम,
कभी आएंगे न हम,
चाहे तुम कितनी गुजारिश कर लो,
हम न कभी आएंगे सनम,
इस कदर हम इतनी दूर
निकल आए हैं हम,
तेरी महफिल में सनम,
कभी आएंगे न हम,
माना वो वक्त कुछ और था,
अब वो दौर नहीं है सनम,
तब तो तुम्हे मेरी
जरुरत ही न थी,
तेरी उल्फत ने हमें जीना
सीखना ही दिया है सनम,
मेरी दुनिया अब अलग है,
यही दुनिया अब जन्नत है मेरी,
मेरे ख्वाबों में बस तुम नहीं,
कोई और है सनम |

Srijan prakriti ka

October 14, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

सृजन प्रकृति का
मनमोहक है बड़ा,
इंद्रधनुषी रंगों से सजा
ये दृश्य प्रकृति का,
मनमोहक है बड़ा,
ये नदियां अल्लड बाला सी,
अठखेलियां करती हुई,
ये ऊंचे ऊंचे पहाड़
उसे प्यार से निहारते हुए,
ये मदमस्त हवाएं पेडो के
आंचल को उड़ाती हुई,
ये झरनों की फुहारे,
ये बादल का गर्जन,
फिर घनघोर बारिश,
यह चंदा लगे आकाश
के झरनों से नहाकर बादलों संग
आंख मिचोली खेलती हुई,
सृजन प्रकृति का
मनमोहक है बड़ा,
यह रंग बिरंगी चिड़िया,
जैसे ईश्वर ने बैठकर
शांति से बनाया हो इसे,
बच्चे ये प्यारे-प्यारे,
फूल ये रंग-बिरंगे,
ये रंग विरंगी तितलिया,
सृजन प्रकृति का
मनमोहक है बडा |

Mere Desh ke kisan

October 12, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरे देश के किसान, तू अब जाग,
कर हिम्मत, ना तू अब ऐसे मर,
तेरी मेहनत एक दिन रंग लाएगी,
तू अब ऐसे ना डर,
कर दो देश को अब तू खबर,
जी रहे हैं हम सब तेरा ही अन्न खाकर,
तुझ पर ही है देश टिका, यह नहीं तुझे खबर,
कर हिम्मत ना तू अब ऐसे डर,
नए ढंग से तू अब खेती कर,
जानकारी नई ले कर तू अब खेती कर,
तू नहीं, तो देश का क्या होगा ! यह सोचकर तू डर,
उपज बढ़ाकर कर दो देश का उद्धार |

Prem

October 11, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

प्रेम ने दिया है किसी को गम,
तो दी है किसी को खुशियां,
कोई तन्हाई में जलता है तो,
किसी को मिलता है सनम का साथ,
क्यों नहीं मिलता सभी को प्रेम की बरसात,
हुए राम सीता से अलग,
कहां कृष्ण भी रह सके राधा के साथ,
सबको पडा झेलना विरह की व्यथा का गम,
ईश्वर भी न बच सके इस तन्हाई की मार से |

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