दोस्त

मिलते हैं कुछ फ़रिश्ते ज़िन्दगी में, बना देते हैं रिश्ते ज़िन्दगी में, साथ निभाऍं हॅंसते-हॅंसते, ज़िन्दगी में। टूट जाए जब दिल, जिगर हो कर निराश,…

रिमझिम बूंदें

रिमझिम बूंदे बहुत हैं बरसीं, अखियाँ तुझे देखन को तरसीं। बिजली चमक रही है चम-चम, बरस रहा है पानी छम-छम। नभ में काली बदली छाई,…

बीती बातें

बीती बातों को याद कर, मत कुरेदना अपने घावों को। ह्रदय में ही रहने देना, अपने हृदय के भावों को । मरहम नहीं लगाती दुनियाँ,…

हे कवि..

हे कवि, तुम लिखना मत छोड़ना कोई कुछ भी कहे कभी कलम मत तोड़ना l तुम से ही सीख ले रहा, यह सारा संसार है…

जलधार..

चढ़ा आषाढ़ श्याम घन घिर आए, आ कर खूब नीर बरसाए। किसी अपने के बिछोह में, नैन नीर मेरे भी आए। ऑंचल भीगा, नयन भी…

कैसे….

कैसे बांध बनाऊँ नयनों में, अन्दर से सैलाब है आया कैसे भूलूँ तेरी यादों को एक माँ का मन यह जान न पाया जुल्म हुआ…

ख़ामोशियाँ

यूँ तो ख़ामोशियों की कोई ज़ुबान नहीं होती लेकिन… प्रेम में ख़ामोशियों को समझना बहुत मायने रखता है l अगर एक दूजे की ख़ामोशियों को…

अद्भुत छटा

नभ में बादल घुमड़ रहे हैं, पंछी भी इधर-उधर उड़ रहे हैं l वृक्षों की ड़ाली पर बैठी, कोयल कुहू-कुहू करती l लगता है बरखा…

चिकित्सक दिवस

आज चिकित्सक दिवस पर, चिकित्सकों को है नमन l शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, लगा रहे सबको वैक्सीन l कठिन समय में देते साथ, रोगी…

अमृत

हलाहल मिला था तो, अमृत भी मिलेगा समुंद्र मंथन में, सब कुछ मिलेगा l घबराना नहीं है, हिम्मत है रखनी हमें ज़िन्दगी की जंग जीतनी…

समुंद्र मंथन

आसुरी शक्तियों का जोर है अभी, इनको मिटाना है शोर करें सभी करना है समुंद्र मंथन, हाँ, निकलेगा पहले हलाहल मगर बहेगी अम्रृत धारा भी…

तेरी यादें

ज़िन्दगी को जहर की तरह पी रही हूँ l रोज तिल-तिल मर रही हूँ, मगर जी रही हूँ l ज़िन्दगी की आधी ख़ुशियाँ छिन गई…

रौशनी…

नई रौशनी कर रही है तेरा इंतजार यॅंहा । तू है वहाॅं, उसे भी तेरा इंतजार है। आजा लौट कर, बहुत सुनहरी दुनियाँ है, तेरे…

जि़न्दगी की ओर

मैं अर्धविक्षिप्त अवस्था में थी, निकाल कर ला रही हूँ धीरे-धीरे स्वयं को । मेरे पाॅंव में डाली हुई आपकी नेह की डोर, लेकर आ…

कविता ऐसी कहो कलम

कविता ऐसी कहो कलम, प्रफुल्लित हो उठे मन। दुखी ह्रदय में खुशियों के फूल खिलें, बिछुड़ों के हृदय मिलें। कभी प्रकृति का हो वर्णन, कविता…

हमारा घर

पूरब हो या हो पश्चिम, उत्तर हो या हो दक्षिण। घर हमारा हमें देता हर्ष है, घर के बाहर तो संघर्ष ही संघर्ष है। हम…

चन्दा की नगरी में..

चन्दा की नगरी में ले चल प्रीतम, चुनरी में सितारे जड़वाऊॅंगी। चाॅंद की रौशनी में, तुम्हारे संग जश्न मनाऊंगी। दो-चार सितारे अलग से लूॅंगी, तुम्हारे…

मेघा आए रे

मेघा आए रे आए रे, ऐसी पड़ी फुहार। भीगी मेरी कॅंचुकी,चुनरिया नीर गिरे भरमार। श्याम वर्ण के मेघा बरसे, खूब गिरी जल-धार। इतनी तो होली…

मजदूर

कर के आया था मजदूरी, था थकन से चूर। रूखा-सूखा खा कर सो गया, वह बूढ़ा मजदूर। ओढ़ी एक फटी थी चद्दर, उसके सूराख़ों से…

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