नहीं मरेगा रावण
61-नहीं मरेगा-रावण अहम भाव में बसता हूं मैं कभी न मरता रावण हूं मैं स्वर्ण मृग मारीच बनाकर सीता को भी छलता हूं मैं..। किसे नहीं है खतरा सोचो केवल अपनी सोच रहे हो रावण वृत्ति कभी न मरती यह सुनकर क्यों भाग रहे हो..। दुख का सागर असुर भाव है क्या राम धरा पर आएंगे सुप्त हुए सब धर्म-कर्म जब रावण कैसे मर पाएंगे..। धर्म बहुत होता त्रेता युग तक केवल लंका में रहता कलयुग पाप काल है ऐसा रावण अब घर-घर में बसता... »