क्यूँ मांगे हम हाथ तुम्हारा

क्यूँ मांगे हम हाथ तुम्हारा जब हमें तुम्हारी जरूरत नहीं, हम तुम्हारे काबिल नहीं, तुम हमारे मुनासिब नहीं ।। ——————————— क्यूँ मांगे हम हाथ तुम्हारा…

पर्यावरण क्या है

कविता-पर्यावरण है क्या ——————————- सभी सुनो, पर्यावरण है क्या, क्या इसकी परिभाषा है, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से, जीव जंतु मानव – जिससे प्रभावित हो, उसी…

आपसे दूर हूं

कविता-आपसे दूर हूं ————————- पापा मैं आपसे दूर हूं आपके आशीष से भरपूर हूं, कमबख्त काम ने घेरा है मुझे ऐसा बंधक है बनाया न…

स्मृति शेष

ईमेल, चैटिंग ही अपना भविष्य क्या हस्तलेखन अब है स्मृति शेष ? नववर्ष का कार्ड नहीं प्रेमपत्र लेखन स्वीकार नहीं कलम कागज का जमाना बना…

बावरी

कविता-बावरी ——————– सुन बावरी क्यों लड़ती है मुझसे, एक दिन रूठ जाऊंगा, तूझे क्या पूरा शहर छोड़ जाऊंगा, संग में कॉलेज आना जाना, पार्को में…

सुख दुःख

एक विरोधाभास रहा है हमेशा से हमारी कल्पनाओं और वास्तविकता के बीच..!! जहाँ कल्पनाएं सुख की मीठी नदी है, वहीं वास्तविकता दुःख का खारा सागर..!!…

जहर पिला दो

कविता-जहर पिला दो —————————– जहर पिला दो जहर खिला दो मम्मी पापा उपकार करो जन्म नहीं देना मम्मी दर्द मेरा एहसास करो मुझ नन्हीं बच्ची…

अपना गणतंत्र

अपनी तमाम विषमताओं के साथ अनगिनत विविधताओं के बावजूद सबसे माकूल व्यवस्था है ‌अपना गणतंत्र। इस बदलते समय की बस यह मांग है लोक के…

लड़कियाँ

घर आँगन में फूलों सी खिलती हुई लड़कियाँ! फ़ीकी दुनिया में मिसरी सी घुलतीं हुई लड़कियां!! उदासियों की भीड़ में हँसती हुई मिलती हैं! ज़िम्मेदारी…

प्रमाण

अनुभव  के अतिरिक्त कोई आधार नहीं , परमेश्वर   का   पथ   कोई  व्यापार  नहीं। प्रभु में हीं जीवन कोई संज्ञान  क्या लेगा? सागर में हीं मीन भला  प्रमाण क्या  देगा? खग  …

अभिलाषा

ये सृष्टि हर क्षण अग्रसर है विनाश की ओर… स्वार्थ, वासना और वैमनस्य की बदली निगल रही हैं विवेक के सूर्य को..!! सुनो! जब दिन…

जख़्म

जख़्म तुझको मैं दिखा देता हूँ, दर्द अपना मैं भुला लेता हूँ। पास आकर जो बैठ जाते हैं, उनको अपना मैं बना लेता हूँ। कहते…

संदेश

पुराने मित्र मेरे! जिंदगी की, हर ख़ुशी तुझको मिले, तेरी खुशियों से निकल कुछ तार मुझ तक भी जुड़े हैं, ठण्ड से सिकुड़े हुए से,…

सोच समझ के बोल

सोच समझ के बोल रे बंदिया सोच समझ के बोल जो तु बोले, तेरा पीछा ना छोड़े मांगे हर अल्फाज़ अपना हिसाब मान-अपमान दिलवाते, दिखलाये…

*हिन्दी की परीक्षा*

**हास्य रचना** हिन्दी की परीक्षा थी उस दिन, चिंता से हृदय धड़कता था बूंदा-बांदी भी हो रही थी, रह-रहकर बादल गरजता था। भीगता-भागता विद्यालय पहुंचा,…

गठबंधन

तीन छात्र थे केवल कक्षा में। आ बैठ गए तीनों परीक्षा में।। प्रथम श्रेणी में पास किया एक दूजा द्वितीय दर्जे को पाया। तीजा तेतीस…

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