ग़ालिब

कविता- गालिब ——————- कवि जागो लेखक जागो, जागो जग के शायर सब , रोयेंगे कल यदि आज नहीं जागे हम| प्रकृति हमारा खंडहर हो रहा…

मृग मरीचिका

वो छत क्या अचानक गिर गई गिरी नही ऐसा कहो गिराई गई नींव संवेदनहीनता की रेत लालच की ईंट भ्रष्टाचार की सीमेंट बेईमानी का माया…

पीपल का वृक्ष

कविता -पीपल का वृक्ष —————————- जीवन जीने का आधार क्या है, हर धर्मों का सार क्या है, मानव क्या पाता है, जीवन में क्या खोता…

सर्दी का सितम

दुनिया से कटा कश्मीर, बर्फ़ से अटा कश्मीर मौसम का हुआ पहाड़ों पर कहर कांपा श्रीनगर और कांपा, जम्मू-कश्मीर का हर शहर डल झील जम…

मासूम बचपन

बारिश में भीगते-भागते खिलखिलाते वो दो बच्चे ना सिर पर छतरी, ना तन पर कोई रेनकोट तेज़ हुई बारिश तो, बैठ गए लेकर एक दीवार…

प्रेम-विवाह

यदि कोई युवक-युवती चाहें प्रेम विवाह करना तो उनके और परिवार के सुख की खातिर, कभी मना नहीं करना प्रेम-विवाह नहीं होगा तो माता-पिता की…

संतोष

सुखी है आदमी कब जब उसे संतोष है, अन्यथा उलझन है मन में रोष है। जो मिला उस पर नहीं कुछ चैन है, इसलिए यह…

कस्तूरी

इश्क़ और मुश्क में इश्क़ तो सभी जानें और मुश्क ?? इसका क्या अर्थ है मुश्क मतलब है कस्तूरी कस्तूरी हिरण की नाभि में है…

जज़्बात

यूँ अपने जज़्बात नुमाया क्यों करते हो ! मेरी ख़ातिर अश्क बहाया क्यों करते हो !! क़िस्मत के लिक्खे से मैं भी वाकिफ़ हूँ !…

मैं, मैं न रहूँ !

खुशहाल रहे हर कोई कर सकें तुम्हारा बन्दन। महक उठे घर आँगन, हे नववर्ष! तुम्हारा अभिनन्दन।। दमक उठे जीवन जिससे वो मैं मलयज, गंधसार बनूँ…

कश्मकश

सूर्य उदित हुए सुबह हुई बड़ी ठंडी सी सुबह थी सूरज ने भी कोहरे की चादर ओढ़ रखी थी वक्त का पता ही ना चला…

2021

उठती रहेगी इक लहर सागर से निरंतर जो समाहित कर लेगी हर पीड़ा जो दी बीते वर्ष ने हर बार होगी इक नईं हिलोर जो…

चैत्र मास

कविता -चैत्र मास ——————– शिक्षा समाज देश के सजग प्रहरी, मौन धारण कर के बैठे हो, बिगड़ रही नव पीढ़ी अपनी चुप्पी तोड़ो आवाज उठाओ,…

2021

अंधकार  का  जो साया था,  तिमिर घनेरा जो छाया था, निज निलयों में बंद पड़े  थे, रोशन दीपक  मंद पड़े थे। निज  श्वांस   पे…

2020—–21

आती जाती हैं ये लहरें, सिर्फ निशां छोड़ जाती है रेत के ऊपर हर पल नयी, कहानी ये लिख जाती है टकराकर किनारों से, हर…

2021 शुभ शगुन

आ रहा है दौ हजार इक्कीस का नव वर्ष करते हैं हम दिल से अभिनंदन बार-बार इक्कीस अंक होता है प्यारा सा शगुन आना तुम…

गीली रेत पर…..

थमी हुई जिंदगी थमे हुए पल रुकती, चुकती सांसें उंगलियों की पोरों से छूटते रिश्तों के रेशमी धागे ठंडी, बेजान दीवारों से टकराते जीने, मरने,…

New Report

Close