नन्हें हाथों ने जिम्मेदारी
घास पूस की झोपड़ी मैया है बीमार चौदह की गुड़िया ने थामी, है घर की पतवार। भूख बीमारी बेहाली के झंझावात घिरे हैं, गलत नजर…
संपादक की पसंद
घास पूस की झोपड़ी मैया है बीमार चौदह की गुड़िया ने थामी, है घर की पतवार। भूख बीमारी बेहाली के झंझावात घिरे हैं, गलत नजर…
कल्पतरु सी बने कविता, सब के दुख हरे कविता बेरोज़गारों को रोज़गार मिले, बिछुड़ों को उनका प्यार मिले ऐसी सुंदर बने कविता, सुरतरू सी बने…
कविता- गालिब ——————- कवि जागो लेखक जागो, जागो जग के शायर सब , रोयेंगे कल यदि आज नहीं जागे हम| प्रकृति हमारा खंडहर हो रहा…
गीत- क्या चाहते हो | दूर जो जाऊ पास बुलाते हो | पास जो आउ नजरे चुराते हो | सच बताओ तुम क्या चाहते हो…
खुद खुश रहना औऱ सभी को खुश रखना हो जीवन का पथ, याद रखो नश्वर है जीवन मिट जाना है बस इसका सच। तेरा-मेरा मेरा-तेरा…
हर मन्दिर को पूजा हमने भगवान नहीँ मिल पाया है इस भूल भुलैया सी दुनिया में इन्सान नहीं मिल पाया है || हर व्यक्ति स्वार्थ…
मन के भीतर तक पहुँच गई, ठंडक की ठंडी हवा अब क्या हो इस ठिठुरन का हल कुछ है क्या इसकी दवा। होती तो मैं…
वो छत क्या अचानक गिर गई गिरी नही ऐसा कहो गिराई गई नींव संवेदनहीनता की रेत लालच की ईंट भ्रष्टाचार की सीमेंट बेईमानी का माया…
कविता -पीपल का वृक्ष —————————- जीवन जीने का आधार क्या है, हर धर्मों का सार क्या है, मानव क्या पाता है, जीवन में क्या खोता…
दुनिया से कटा कश्मीर, बर्फ़ से अटा कश्मीर मौसम का हुआ पहाड़ों पर कहर कांपा श्रीनगर और कांपा, जम्मू-कश्मीर का हर शहर डल झील जम…
बिरह भक्ति गीत- मेरे श्याम सावरिया | चुराकर दिल मेरा मुझे दीवाना बना दिया | सुनो मेरे श्याम सावरिया | सुनाकर मीठी बाते मुझे अपना…
दूजे की भी मदद कर, अपना ही मत देख। ठिठुर रहे जो सड़क पर, उनको भी तो देख। उनको भी तो देख, खिला दे रोटी…
मैं सड़क बेचारी ज्यों अबला नारी। पग पग दलित परम दुखियारी।। हाय मैं सड़क बेचारी काट दिया कोई कहीं पर और बहा दिया पानी घर…
बारिश में भीगते-भागते खिलखिलाते वो दो बच्चे ना सिर पर छतरी, ना तन पर कोई रेनकोट तेज़ हुई बारिश तो, बैठ गए लेकर एक दीवार…
यदि कोई युवक-युवती चाहें प्रेम विवाह करना तो उनके और परिवार के सुख की खातिर, कभी मना नहीं करना प्रेम-विवाह नहीं होगा तो माता-पिता की…
आँखों में खटकती, फ़िर दिल में कैसे रहती जद्दोजहद में गिर गिरकर मैं पग रखती खुद ही खुद से हारी कैसे कहूँ मैं हूँ सहधर्मिणी…
बेरंग हुआ उसका जीवन, रूप बदलकर स्याह हुआ । लाल रंग से टुटा नाता, दूर सोलहो श्रृंगार हुआ ।। बिछोह हुआ उस प्रीतम से जिससे…
सुखी है आदमी कब जब उसे संतोष है, अन्यथा उलझन है मन में रोष है। जो मिला उस पर नहीं कुछ चैन है, इसलिए यह…
वो मुफ्त में पालक काट दिया करता है सब्जी के साथ मुफ्त में, धनिया मिर्ची भी बांट दिया करता है जेब से, मानो या न…
कुछ दिन बचे हैं पूस के ये भी निकल हीं जाऐंगे। सर्दी है चारों ओर व्यापित कब तक हमें सताऐंगे।। क्या कंबल रजाई कफी है…
इश्क़ और मुश्क में इश्क़ तो सभी जानें और मुश्क ?? इसका क्या अर्थ है मुश्क मतलब है कस्तूरी कस्तूरी हिरण की नाभि में है…
यूँ अपने जज़्बात नुमाया क्यों करते हो ! मेरी ख़ातिर अश्क बहाया क्यों करते हो !! क़िस्मत के लिक्खे से मैं भी वाकिफ़ हूँ !…
रिमझिम-रिमझिम जल बरसा, आ गए काले बादल दिन में छाया घोर अंधेरा नभ में जैसे फैला काजल बादल की आंख से जल बरसा धूप को…
आज धूप नहीं है बादल छितरे हैं नील गगन में ठिठुर रहा है जीवन बर्फ भरी है आज पवन में। कैसे उठूँ रजाई से, यह…
‘रेत पर लिख दो और लहरों के हवाले कर दो, आज इस साल की सब बन्द रिसालें कर दो.. इस नए साल में बाहर न…
वही सागर का तट बालुकामय सतह। जहाँ आनन्द मनाया कुछ इस तरह।। खाया -खेला नाचा-गया। गीले बालुका पर अंगूठा घुमाया। कुछ इस तरह।। अंकित हुआ…
खुशहाल रहे हर कोई कर सकें तुम्हारा बन्दन। महक उठे घर आँगन, हे नववर्ष! तुम्हारा अभिनन्दन।। दमक उठे जीवन जिससे वो मैं मलयज, गंधसार बनूँ…
1. हम जमाने से बेहद सताए हुए हैं मगर अपनी इज्जत बचाए हुए हैं मार डालेगा दुश्मन जमाना तेरा इसलिए तुझको दिल में छुपाए हुए…
1. जो कल था वही आज हूं थोड़ा खफा हूं थोड़ा नाराज हूं 2. जिस दिन किस्मत के सितारे बदल जायेंगे देखते ही देखते नजारे…
नववर्ष 2021 की जय श्री राम जय श्री कृष्ण 🙏🙏🚩🕉 और सप्रेम शुभकामनाओं के साथ आपके लिए – अब बीत गया दुख भरा समय फिर…
हे नव वर्ष ! तुम्हारा स्वागत ना कर पाई मैं ! तुम्हारे आगमन के उपलक्ष्य में हजारों तैयारियां करना चाहती थी पर कर ना सकी…
समय की धीर लहरें बढ़े ही जा रही हैं, खुद में बीते दिनों को समाते जा रही हैं। जा रहा यह बरस अब वक्त के…
सन् 2020 को विदा करते हैं, दुःखो को खुद से जुदा करते हैं। खुशियाँ का खुल के आगमन, हर इक से चलो वफ़ा करते हैं।…
सूर्य उदित हुए सुबह हुई बड़ी ठंडी सी सुबह थी सूरज ने भी कोहरे की चादर ओढ़ रखी थी वक्त का पता ही ना चला…
कालचक्र ने लिखा था एक रोज़ रेत पर उंगलियों के पोरों से, वह हस्तलेख मिट गया सागर की लहरों के थपेड़ों से… स्वागत है कर…
उठती रहेगी इक लहर सागर से निरंतर जो समाहित कर लेगी हर पीड़ा जो दी बीते वर्ष ने हर बार होगी इक नईं हिलोर जो…
कविता -चैत्र मास ——————– शिक्षा समाज देश के सजग प्रहरी, मौन धारण कर के बैठे हो, बिगड़ रही नव पीढ़ी अपनी चुप्पी तोड़ो आवाज उठाओ,…
अंधकार का जो साया था, तिमिर घनेरा जो छाया था, निज निलयों में बंद पड़े थे, रोशन दीपक मंद पड़े थे। निज श्वांस पे…
आती जाती हैं ये लहरें, सिर्फ निशां छोड़ जाती है रेत के ऊपर हर पल नयी, कहानी ये लिख जाती है टकराकर किनारों से, हर…
नए वर्ष की नई भोर है स्वर्णिम-उजियारा चहुं ओर है चेहरे चमके बगिया महकी ओस सुबह की फिर से चमकी उपवन में फिर फूल खिलेंगे…
नववर्ष हो इतना सबल ना पीर चारों ओर हो, जिधर भी उठे नजर सर्वत्र पुष्प ही पुष्प हो.. यह लेखनी अविराम हो, हर पंक्ति में…
बेशक मनाओ त्योहार तुम दिल खोलकर करो नववर्ष का स्वागत पर शराब, बकरी, मुर्गों आदि जीवों के जीवन का अन्त करके किस प्रकार मना सकते…
खूब मनाओ तुम खुशी, इतना रख लो ध्यान, चमड़ी जिनकी खा रहे, उनमें भी है जान। उनमें भी है जान, मगर तुम खून पी रहे,…
कूड़ाघर: रसोईंघर ******************* मैं अक्सर सोंचा करती थी आजकल कोई गरीब नहीं… सब अपने आप में सक्षम हैं इस दुनिया में अब कोई असहाय नहीं……
बेटी और पिता सैर पर जा रहे थे मधुर संगीत था कोई गीत गा रहे थे.. होंठों पर दोनों के तसल्ली भरी मुस्कान थी, बेटी…
आ रहा है दौ हजार इक्कीस का नव वर्ष करते हैं हम दिल से अभिनंदन बार-बार इक्कीस अंक होता है प्यारा सा शगुन आना तुम…
कविता-स्वागत नए साल का | बीत गया वर्ष दो हजार बीस स्वागत नए साल का | गुजरा वो सब पर रहा भारी पुछो न अब…
एक अंधी लड़की देख के मन में वेदना का ज्वालामुखी फूटा सोई थी चिर निद्रा में करुणा से अवधान टूटा… मन में आया मेर जो…
रक्तदान है महादान यह ‘प्रज्ञा शुक्ला’ कहती है, रक्ताल्पता को अक्सर जीवन में अपने सहती है… रक्तदान करने से कोई कमजोरी नहीं आती है, इतनी…
थमी हुई जिंदगी थमे हुए पल रुकती, चुकती सांसें उंगलियों की पोरों से छूटते रिश्तों के रेशमी धागे ठंडी, बेजान दीवारों से टकराते जीने, मरने,…
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